आराधना केंद्र
महामंत्र णमोकार की आराधना ...
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श्रध्दा, शिक्षा, सेवा, सदाचार, संगठन, समन्वय तथा सहयोग भाव से समन्वित इस णमोकार तिर्थ की निर्माण पूर्व संकल्पना निश्चित रुप से प्रत्येक णमोकार मंत्र के श्रध्दावान श्रावक के ह्रिदय को प्रमोदित करने वाली है |
इस मंत्र की शक्तियों की महिमा का उल्लेख प्राचीन धर्मशास्त्रों में प्रचुरता से मिलता है | इस मंत्र के आराधक एवं आराधना मंत्र का आनुसंधान केंद्र में संशोधन किया जायगा | |
णमोकार मंत्र की शक्तियों का स्त्रोत है, पंचपरमेष्ठी | इस तीर्थ पर तीर्थंकर प्रभु के द्वारा पंचपरमेष्ठियों के विभिन्न गुणों को साकार रुप में प्रस्तुत करने के लिये एक अभूतपूर्व प्रयोग की संकल्पना है |
अरिहंत प्रभु के शास्त्रोल्लेखीत ४६ गुणों को प्रदर्शित करने कि लिये ४६ गणों को चित्रित करने वाली सजीव चल झाकियों के साथ उनकी ४६ फुट उँची पाषाण प्रतिमा का निर्माण, ८ गुणों के चित्रात्मक प्रदर्शन के साथ ३६ फुट उँची सिध्द परमेष्ठी की प्रतिमा के ही क्रम में आचार्य उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठी के क्रमशः ३६, २५ एवं २८ गुणों को प्रदर्शित करते हुए उनकी क्रमशः ३६, २५ एवं २८ फुट उँची प्रतिमाऑं का निर्माण सचल चित्रात्मक झाकियों के साथ किया जायेगा |
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